इंसान

This is an excerpt from few lines that I had written hearing about Aylan Kurdi. A three-year-old Syrian boy who drowned on 2 September 2015 in the Mediterranean Sea.

दौड़ते हैं सब मंदिर की ओर, मस्जिद की ओर,
ख़ुदा मिला नहीं, भगवान दिखा नहीं;
तारीफ़ की बहुत उसकी, लगा भोंपू बजा घंटी,
दिल गला नहीं, दामन भरा नहीं;
लड़ लिये उसके वकील बन,
सज़ा सब को मिली, उसको सज़ा नहीं;
गर वो तुम में है, मुझ में है,
फ़िर क्यों कातिल तुम बने मैं बना, ख़ुदा नहीं?
जो सागर किनारे मर गया,
वो बच्चा तुम्हारा था, मेरा था;
क्युं दिल नहीं टूटा, ज़मीर जगा नहीं?
शैतान हम में था आईना बता देगा,
अल्लाह मर गया, ईश्वर बचा नहीं;
सच है उसे बनाया हमने मतलब के लिए,
शायद उसे भी पता हो, उससे बड़ा धंधा नहीं;
बांट दी धरा, पशु, पवन, नीर,
बन गए पंडित, मौला,
लगे सब अपना वज़ूद बनाने,
पर बने कैसे वीर,
जब इंसान ही बना नहीं।
- वीर

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